आँसू .....
मेरी पलकों से गिर गया आँसू....
रेत में जाके... खो गया आँसू.....
1. कई लम्हों से, घर बनाये था,
मेरी पलकों में वो समाया था...
आज बिखरा तो, रुक नहीं पाया...
रोया फिर फूट-फूट वो आंसूं.....
2. जब तलक दर्द है..ये रहता है.
संग जख्मों की, टीस सहता है,
दर्द, बेदर्द जब लगे होने,
बनके तब -तब बहा, लहू आँसू...
3. कभी खुशियों के घर भी आता है...
साथ तोहफे हँसी के लाता है ...
गर हँसीं हद से जो लगे बढ़ने,
खुद भी रोये, और रुलाये आँसूं....
4. बदनसीबी का हाल न पूछो,
इससे इसका पता नहीं पूछो,
कभी एक बूंद है, कभी दरिया,
कभी खारा सा समंदर आँसू ....
मेरी पलकों से गिर गया आँसू....
रेत में जाके... खो गया आँसू.....
सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी... १३/०७/२०११
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