जो होना था वो ही हो रहा है ये सत्य है, परन्तु अर्धसत्य;परमात्मा ने ये जीवन आपको दिया है कुछ सार्थक कर गुजरने की लिए,यदि यही सोचकर मनुष्य उदासीन या कर्महीन हो जाये कि,जो होना है वो तो होकर ही रहेगा तो संसार और मनुष्यता का विस्तार रुक जायेगा.
रकीब (दुश्मन) से ये इल्तजा है कि अब वो मुझसे दुश्मनी छोड़ दे,क्योंकि अब मेरे घर मेरा प्यार आया है, और मुझे उल्फत ही रास आनी है, नफरत नहीं.
यह कविता आपने शायद उप्रेती जी की वाल पर भी लगाई थी.काफी पसंद आई.
जी..हर्षवर्धन जी..धन्यवाद !!!
रकीब (दुश्मन) से ये इल्तजा है कि अब वो मुझसे दुश्मनी छोड़ दे,
ReplyDeleteक्योंकि अब मेरे घर मेरा प्यार आया है, और मुझे उल्फत ही रास आनी है, नफरत नहीं.
यह कविता आपने शायद उप्रेती जी की वाल पर भी लगाई थी.
ReplyDeleteकाफी पसंद आई.
जी..हर्षवर्धन जी..
ReplyDeleteधन्यवाद !!!