Saturday, May 26, 2012

Prem Samarpan (प्रेम समर्पण) - by Suryadeep Ankit Tripathi 24/05/2012


(लफ्ज़ तुम्हारे...और गीत मेरे...)
~~~
प्रेम समर्पण~~~
रहा तिमिर घिरा चहुँ और प्रिये, 
एक दीप जला, तम हो प्रज्जल ! 
एक क्षण अब रुक, दे दीप बुझा, 
मुख दर्शन दे, कर मन उज्जवल !! 
मन की तृष्णा, इक मरू-भूमि 
तेरे काले गेसू आस मेरी, 
अधरों का रस अब, कुछ तो बरस, 
वर्षा से बुझे न प्यास मेरी !! 
मधुमास मिलन, मधु तेरे नयन, 
तुम लिप्त कस्तूरी गात प्रिये, 
मैं मधुप विचरता आकुल-व्याकुल, 
रस-प्रेम तरसता आज प्रिये !! 
तुम नख से शिख तक , एक कला ,
विचलित उर का आभास प्रिये ,
ये मधुर समर्पण भावों का ,
है दृष्टिपटल पर आज प्रिये !! 
मै प्रतिक्षण एक प्रतीक्षा में ,
एक याचक सा, अधिकार लिए,
क्षणभंगुर से इस जीवन का ,
ये सत्य करो, स्वीकार प्रिये !! .....
सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी - २४/०५/२०१२