(लफ्ज़ तुम्हारे...और गीत मेरे...)
~~~प्रेम समर्पण~~~
रहा तिमिर घिरा चहुँ और प्रिये,
एक दीप जला, तम हो प्रज्जल !
एक क्षण अब रुक, दे दीप बुझा,
मुख दर्शन दे, कर मन उज्जवल !!
मन की तृष्णा, इक मरू-भूमि
तेरे काले गेसू आस मेरी,
अधरों का रस अब, कुछ तो बरस,
वर्षा से बुझे न प्यास मेरी !!
मधुमास मिलन, मधु तेरे नयन,
तुम लिप्त कस्तूरी गात प्रिये,
मैं मधुप विचरता आकुल-व्याकुल,
रस-प्रेम तरसता आज प्रिये !!
~~~प्रेम समर्पण~~~
रहा तिमिर घिरा चहुँ और प्रिये,
एक दीप जला, तम हो प्रज्जल !
एक क्षण अब रुक, दे दीप बुझा,
मुख दर्शन दे, कर मन उज्जवल !!
मन की तृष्णा, इक मरू-भूमि
तेरे काले गेसू आस मेरी,
अधरों का रस अब, कुछ तो बरस,
वर्षा से बुझे न प्यास मेरी !!
मधुमास मिलन, मधु तेरे नयन,
तुम लिप्त कस्तूरी गात प्रिये,
मैं मधुप विचरता आकुल-व्याकुल,
रस-प्रेम तरसता आज प्रिये !!
तुम नख से शिख
तक , एक कला ,
विचलित उर का आभास प्रिये ,
ये मधुर समर्पण भावों का ,
है दृष्टिपटल पर आज प्रिये !!
मै प्रतिक्षण एक प्रतीक्षा में ,
एक याचक सा, अधिकार लिए,
क्षणभंगुर से इस जीवन का ,
ये सत्य करो, स्वीकार प्रिये !! .....
विचलित उर का आभास प्रिये ,
ये मधुर समर्पण भावों का ,
है दृष्टिपटल पर आज प्रिये !!
मै प्रतिक्षण एक प्रतीक्षा में ,
एक याचक सा, अधिकार लिए,
क्षणभंगुर से इस जीवन का ,
ये सत्य करो, स्वीकार प्रिये !! .....
सुर्यदीप अंकित
त्रिपाठी - २४/०५/२०१२