Thursday, January 5, 2012

"सुप्रभात सुखकर" BY SURYADEEP ANKIT TRIPATHI

"सुप्रभात सुखकर"                     BY SURYADEEP ANKIT TRIPATHI
दिनकर फिर से लेकर आया...
ये सुप्रभात सुखकर !
हुआ तिमिर नाश, जगी जन की आस,
खिले कुसुम यूँ मुस्काकर !! ये सुप्रभात सुखकर !!
मानव ने आलस छोड़ा, हलधर भी ले हल दौड़ा,
गाये-गीत पंछी यूँ चहककर ! ये सुप्रभात सुखकर !!
हुई शंख-ध्वनी मंदिर में, आयत गूंजी मस्जिद में,
करे स्तुति वो गिरिजाघर !! ये सुप्रभात सुखकर !!
करे ध्यान गुरुका गुरुद्वारा, गुरु ज्ञान बांटे जग में सारा,
बने हम महँ पढ़-लिखकर ! ये सुप्रभात सुखकर !!
दिनकर फिर से लेकर आया...ये सुप्रभात सुखकर !
०६/०१/२०१२ सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी

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