चंचल- निर्मल, निच्छल, कोमल, धवल सा ये बचपन,
नैनो को हर क्षण मटकाता, तनिक कहीं रुक नहीं ये पाता,
रंग शरारत के दिखलाता, धमकाओ तो है रो पड़ता,
माता के आँचल छुप जाता, सहम के ये बचपन!!
चंचल- निर्मल, निच्छल, कोमल, धवल सा ये बचपन,
फूलों सा नाजुक होता है, गंगा सा निर्मल होता है,
पत्तों पर वो ओस की जैसा, हरा भरा उपवन होता है,
आँख का तारा, सबका दुलारा, प्यारा सा बचपन!!
चंचल- निर्मल, निच्छल, कोमल, धवल सा ये बचपन,
प्रश्नों की बौछार लगाता, बार-बार उनको दोहराता,
समझ न पाता, पर प्रयास हर पल वो करता ,,
प्रश्नों के उत्तर पाने को, जिज्ञासु बचपन !!
चंचल- निर्मल, निच्छल, कोमल, धवल सा ये बचपन,
रूप रंग का भेद न जाने, न मजहब, जाती के,
हंसी, ठिठोली, बैर भाव दिखलाता ये बचपन !!
चंचल- निर्मल, निच्छल, कोमल, धवल सा ये बचपन!
सुर्यदीप "अंकित"
सुर्यदीप "अंकित"
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