Thursday, February 23, 2012

कुछ खोयी सी वो बादल जैसी.... By Suryadeep Ankit Tripathi


कुछ खोयी सी वो बादल जैसी,
कुछ वो पवन सी लहराती !!
धीर बसा मन समंदर जैसा,
चंचल लहरों सी अठलाती !!

नैनों में मधुरस पल-पल छलके,
होठों पे शब्दों के बोल हलके..
हर पल फूलों सी मुस्काती !!...
पत्तों पे बिखरी शबनम जैसी,

रातो की रानी पूनम जैसी,
सितारों सी वो जगमगाती !!
सूर्यदीप अंकित त्रिपाठी - १३/०२/२०१२

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चाँद क्यूँ रोज़ कभी, एक सा रहता है नहीं..... BY Suryadeep Ankit Tripathi

चाँद क्यूँ रोज़ कभी, एक सा रहता है नहीं....
क्यूँ ये सूरज भी, सरेआम, यूँ टहलता है...
किसके आँचल से हैं बंधे तारे..
क्यूँ ये आकाश, कई सदियों से, यूँ तकता है...
क्यूँ निकलती है सुबह, रात की पनाहों से...
क्यूँ भरी धुप को ले साथ , ये दिन चलता है...

क्यूँ ये पेड़ों की पत्तियां कोमल,
क्यूँ पहाड़ों की छातियाँ पत्थर,
कैसे खुशबू हवा में है बाकी,
कोई बादल, क्यूँ यूँ बरसता है....

क्यूँ है रेतों का, समंदर सूखा,
क्यूँ है नदियों लगे नहाई सी,
कैसे खेतों से भूख पलती है,
कैसे फूलों का घर महकता है..

कैसे जीवन नया कोई चहके,
क्यूँ बिछड़ जाए, कोई संग चलके,
क्यूँ ये इंसान चलता रहता है,
क्यूँ समय न एक पल ठहरता है...

क्यूँ मेरी आँख में रहें सपने,
क्यूँ मेरे साथ में हैं मेरे अपने,
क्या कोई है जो इनका है मालिक,
है अगर तो वो, क्यूँ न दिखता है.....

सूर्यदीप अंकित त्रिपाठी - २२/०२/२०१२

Tuesday, February 7, 2012

जाने क्यूँ आप……… (Jaane Kyun Aaap..) By Suryadeep Ankit Tripathi


जाने क्यूँ आप………
जाने क्यूँ आप, हर एक बात, दिल पे लेते हो...
खामखाँ आप मेरी बात, पे रो देते हो !!
बात खुशियों की हो या, हो कोई ग़म की ही खबर
आप हर वक्त यूँ ही, आँख को नम रखते हो !! 
खामखाँ आप...........
उन सवालों की, कोई उम्र नहीं है फिर भी
क्यूँ जवाबों को, ज़माने की नज़र करते हो !!  
खामखाँ आप...........
तेरी रुखसत, मेरी साँसों में, कमी करती है,
बात ये जानते हो, फिर भी क्यूँ, चल देते हो  !! 
खामखाँ आप..........
जाने क्यूँ आप, हर एक बात, दिल पे लेते हो,
खामखाँ आप मेरी बात, पे रो देते हो !!..
सूर्यदीप अंकित त्रिपाठी  - ०६/०२/२०१२