Wednesday, January 18, 2012

मौसम तेरी यादों का,,,,सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी - १६/१/२०१२


कोई भटका हुआ पल, फिर से लौट आया है,
फिर से मौसम तेरी यादों का, चला आया है !!

मेरे सिरहाने रखे ख्वाबों में, फिर है हलचल,
फिर जगाने को कोई ख्वाब, चला आया है !!

हमसफ़र दूर तलक बनके रहा, वो आदिल,
मिलने आसिम से वो क्यूँ कर के , चला आया है !!

आदिल - सच्चा, नेक
आसिम - दोषी, पापी
सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी - १६/१/२०१२
 

स्त्री.... १७ जन. २०१२

स्त्री....
अब भी.... देहरी पर बैठी...
यही सोचती है..
मैं इसके भीतर सुरक्षित हूँ...
या इसके बाहर...
और पुरुष....
न जाने अब तक...
ऐसी कितनी ही
देहरियाँ लांघ चुका है...... सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी - १७ जन. २०१२

Monday, January 9, 2012

"स्‍त्री होकर सवाल करती है..." लोकार्पण रविवार, 8 जनवरी 2012

फेसबुक पर मौजूद 127 नवोदित-प्रतिष्ठित रचनाकारों की स्‍त्री विषयक कविताओं के संकलन "स्‍त्री होकर सवाल करती है....!" का लोकार्पण रविवार, 8 जनवरी 2012 को कविता समय कार्यक्रम के कविता पाठ सत्र में हिन्‍दी की मूर्धन्‍य साहित्‍यकार सुश्री अनामिका और डॉ. सविता सिंह ने किया.
एक ऐतिहासिक पहल....  :)

Thursday, January 5, 2012

"सुप्रभात सुखकर" BY SURYADEEP ANKIT TRIPATHI

"सुप्रभात सुखकर"                     BY SURYADEEP ANKIT TRIPATHI
दिनकर फिर से लेकर आया...
ये सुप्रभात सुखकर !
हुआ तिमिर नाश, जगी जन की आस,
खिले कुसुम यूँ मुस्काकर !! ये सुप्रभात सुखकर !!
मानव ने आलस छोड़ा, हलधर भी ले हल दौड़ा,
गाये-गीत पंछी यूँ चहककर ! ये सुप्रभात सुखकर !!
हुई शंख-ध्वनी मंदिर में, आयत गूंजी मस्जिद में,
करे स्तुति वो गिरिजाघर !! ये सुप्रभात सुखकर !!
करे ध्यान गुरुका गुरुद्वारा, गुरु ज्ञान बांटे जग में सारा,
बने हम महँ पढ़-लिखकर ! ये सुप्रभात सुखकर !!
दिनकर फिर से लेकर आया...ये सुप्रभात सुखकर !
०६/०१/२०१२ सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी