Monday, December 19, 2011

हाइकु - प्रकृति और जीवन .... (Haiku) Prakriti aur Jeevan...by Suryadeep Ankit Tripathi

हाइकु - प्रकृति और जीवन ....

उगता सूर्य
जन्म धरा व जन !
है आलिंगन !!

चढ़ता घाम
बढ़ता ये जीवन !
रास मगन !!

काला बादल
विपदा तन-मन !
क्रोध अगन !!

शाम प्रहर
खुद से अनबन !
देव नमन !!

रात सघन
मृत देह अगन !
लोक गमन !!

सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी .....१९/१२/२०११

Saturday, December 17, 2011

हाथ पे हाथ कोई दे दे....... BY SURYADEEP ANKIT TRIPATHI - 17/12/2011

हाथ पे हाथ कोई दे दे.......
जन वेदना..बनी मूक श्राप
उत्साह कोई लाकर दे दे
कविता के आखर धार नहीं..
हथियार अब हाथ कोई दे दे..!!

भारी जेबों का बोझ सहन,
कब तक ये देह करे ये मन..
खाली हाथों का अब रण ये नहीं,
पत्थर अब हाथ कोई दे दे !!

गांधी की आँख भी रोती है,
नहीं तन पर उनके धोती है,
नहीं तिलक कोई मरने पाए..
लाठी अब हाथ कोई दे दे !!

निर्धन का दुःख भी है बेचा,
भरे पेट भला किसने सोचा,
पिचके पेटों को कुछ तो मिले..
भर-भर अब हाथ कोई दे दे...!!

मासूमों को अब खेल नहीं,
अब उनसे खिलाया जाता है,
अब छीन के बरतन हाथों से...
पुस्तक अब हाथ कोई दे दे !!

सोचो अब उसकी उम्र नहीं,
पर अब भी वो क्यूँ लड़ता है,
ये देश हो फिर से उठ के खड़ा.
अब हाथ पे हाथ कोई दे दे !!

सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी -१७ दिसंबर २०११