जलधर, जलभर बरसो .. (Jaldhar Jalbhar Barso) By Suryadeep Ankit Tripathi
जलधर, जलभर बरसो
बरसों मेघ, पयोधर बरसो (२)
बरसों जलद, जलत वसुधा सरि,
वात अनल सम, प्रखर प्रचुर रवि,
नभचर आकुल, व्याकुल हलधर,
घिर-घिर, घन घम बरसो !
जलधर, जलभर बरसो .........
हुए अधीर नर-नारी, सुता-सुत,
खग, मृग, पादप, पुष्प मरण मुख,
जल बिन मीन, न जीव बिन पानी,
अमृत रूप नीर, तुम बरसो !
जलधर, जलभर बरसो .........
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