Wednesday, February 23, 2011

जिंदगी....ये जिंदगी..... (zindgi ye zindgi...)


जिंदगी....ये जिंदगी.....
कभी आवाज़ एक फ़कीर सी, (दारुण, करुण
कभी हाथ की आधी लकीर सी, (छोटी)
कभी ताज की तहरीर सी, (प्रेम-मय
कभी लाश की गंभीर सी, (उदासीन, ग़मगीन, निस्तेज
ये...साली जिंदगी....जिंदगी एक ज़ंजीर सी. (जीने की बेबसी)

कभी जीत के, एक दाँव सी, (सफलप्रगति)
कभी धूप में, एक छाँव सी, (मनचाही)
कभी सेहरा में, एक गाँव सी, (तनहा नहीं, खुशहाल) 
कभी माँ के, दौनों पाँव सी, (स्वर्ग, जन्नत)
ये... प्यारी जिंदगी.... जिंदगी तेरी बाँह सी (दोस्ती, सहारा, सहयोग)
 
कभी भूले बिसरे गीत सी, (सुखद लम्हा, जो आज भी ताज़ा है)  
कभी बिछड़े कोई मीत सी, (सुखद साथ जो आज भी साथ है
कभी वो पुरानी रीत सी, (वादे, कसमें जिन पर सब आज भी कायम है
कभी याद कोई अतीत सी, (याद जो कभी नहीं मिटती)
ये.....मेरी जिंदगी.... जिंदगी तेरी प्रीत सी (प्रेम जिसकी कोई उम्र नहीं है)
सुर्यदीप  "अंकित" त्रिपाठी - २४/०२/२०११ 

5 comments:

  1. विभिन्न रंगों में जिन्दगी...

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  2. वाह बहुत खूबसूरत लिखा...समय पर मैं आपके ब्लॉग को चर्चामंच पर रखूंगी ..धन्यवाद

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  3. हार्दिक धन्यवाद सुशील जी, नूतन जी..

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