((कोरस - पंचम द्रुत चाल))
"जमुना के तट पर, लपट-झपट कर,
"जमुना के तट पर, लपट-झपट कर,
रंग-गुलाल बरस, घट-घट पर,
आगे-आगे दौड़े राधा,
पीछे-पीछे कान्हा झटपट....
फागुन रास रचाए रासी,
संग गोपियाँ बहुत ही नटखट..... " (अंत पंचम द्रुत चाल)
(राधा)
मोहे छेड़ो नहीं नंदलाल, बहाने होली के ,
रंग डारो नहीं मोपे लाल, बहाने होली के !! मोहे छेड़ो.....
भीज गई मोरी, अंगियां चोली,
हाँ, भीज गई मोरी अंगिया चोली,
सखियाँ चिढ़ावे, कर-कर ठिठोली,
(कर-कर ठिठोली) (कोरस),
भर पानी, होss भर पानी, पिचकारी नहीं मार, बहाने होली के !! मोहे छेड़ो.....
(कृष्ण)
मैं हूँ बिरज का एक दीवाना,
मैं ना जानू कोई बहाना, (कोई बहाना-(२) (कोरस)
प्रीत की रीत है मिल जुल रहना
जिस रंग वो डूबे, (रंग खुद वो रंगना) (२)
डालू तोपे (२) मैं रंग हज़ार, बहाने होली के....
मैं तो छेड़ूँ तुझे, सरे बाज़ार, बहाने होली के !! मोहे छेड़ो.....
(राधा)
धोखे से मोहे घर से बुलाया,
गोरे मुख पे, (श्याम रंग लगाया) (२) ,, (कोरस)
रंग डाला मुझे, अपने ही रंग में,
रंग तोरा बसे (मोरे अंग-अंग में), (२)
मन तेरा बसालूं प्यार, बहाने होली के...
(कोरस)
वाके छेड़ो नहीं नंदलाल, बहाने होली के ,
रंग डारो नहीं वापे लाल, बहाने होली के !!
सुर्यदीप "अंकित" त्रिपाठी - ०८/०३/२०११
bahut sundar post.. aapki yah post parshon Yaani Shukrvaar ko charchamanch me hogi ..
ReplyDeleteaap Charchamanch aur amritras blog me aa kar apne vicharon se anugrahit karenge..
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dhanyavaad nutan ji...
ReplyDeleteBahut sunder holi geet ...
ReplyDeleteसादर धन्यवाद मोनिका जी...
ReplyDeleteहोली गीत अच्छा लगा बधाई |
ReplyDeleteआशा
Dhanyavaad....Aashaji....
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