विदाई गीत ....
माई मोरी माई....हो....
माई मोरी माई.....
कैसी जग ने रीत ये बनाई रे,
काहे अब से हुई मैं परायी रे,
माई रे.... काहे भेजे मोहे परदेश
बाबुल का अंगना, छूटा मोसे जाए ...
छूटा मोसे जाये, मेरा गाँव रे...
संग सहेली छूटी, घर की देहली छूटी,
छूटी मोसे ममता की छाँव रे...
माई रे... काहे भेजे मोहे परदेश.......
किससे कहूँगी मैं, बातें मेरे मन की,
कैसे मैं सहूंगी, कोई घाव रे.....
बाबुल का हाथ न होगा,
होगा न कोई, भैया सा साथ रे,
माई रे.. काहे भेजे मोहे परदेश.......
नाही भेजो मोहे परदेश........
पेड़ के वो झूले पूछे, गाँव के वो मेले पूछे,
पूछे कुँए की वो मुंडेर रे...
खेत की हरियाली पूछे, फूल हर, हर डाली पूछे,
लौटेगी तू फिर कितने देर से...
देदो कोई जाके सन्देश रे...
बिटिया तो जाये परदेश रे...
माई रे....ओ माई रे...काहे भेजे मोहे परदेश.....
सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी 14/05/2011
यही तो जग की रीत है
ReplyDeleteसुंदर भाव....
dhanyavaad veena ji....
ReplyDelete