है अटल -अचल
सम धवल-नवल,
है श्रेष्ठ शिखर, वो हिमाला है.....
चंचल - सरिता चहुँ ओर बहे,
फल-फूल से शोभित माला है,
है हिंद के सिर का ताज,
नित गर्व करे हर जियाला है,
प्रकृति की अनुपम भेंट मिली,
मन आनंदित, हिय हर्षाला है,
है ज्ञान अलोकिक बिखरा हुआ,
सत-संग की एक पाठशाला है,
है शिव का घर, निकट अम्बर,
है श्रेष्ठ शिखर, वो हिमाला है.....
सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी - २१/०५/२०११
बहुत सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteकृपया टिप्पणी बॉक्स से वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .
Dhanyavaad..Sangeeta ji... Aabhaar Apka...
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