देश का मैं भविष्य हूँ,,
पर अभी तक आपके हाथ मैं हूँ..
जैसे गीली मिटटी होती है...
वैसे ही मेरा मन है....
पर...मुझे आकार तो आपने ही देना है,
पर... मुझे विचार तो आपने ही देने हैं...
धूप में मुझको तपना है,
तेज़ बारिश में भीगना है,
कितने ही पहाड़ चलना है,
मेरे साथ नहीं खेलना,
की देश का में भविष्य हूँ...
पर..अभी तक आपके हाथ में हूँ.. (suryadeep ankit tripathi)
पर अभी तक आपके हाथ मैं हूँ..
जैसे गीली मिटटी होती है...
वैसे ही मेरा मन है....
पर...मुझे आकार तो आपने ही देना है,
पर... मुझे विचार तो आपने ही देने हैं...
धूप में मुझको तपना है,
तेज़ बारिश में भीगना है,
कितने ही पहाड़ चलना है,
मेरे साथ नहीं खेलना,
की देश का में भविष्य हूँ...
पर..अभी तक आपके हाथ में हूँ.. (suryadeep ankit tripathi)
No comments:
Post a Comment