Saturday, December 17, 2011

हाथ पे हाथ कोई दे दे....... BY SURYADEEP ANKIT TRIPATHI - 17/12/2011

हाथ पे हाथ कोई दे दे.......
जन वेदना..बनी मूक श्राप
उत्साह कोई लाकर दे दे
कविता के आखर धार नहीं..
हथियार अब हाथ कोई दे दे..!!

भारी जेबों का बोझ सहन,
कब तक ये देह करे ये मन..
खाली हाथों का अब रण ये नहीं,
पत्थर अब हाथ कोई दे दे !!

गांधी की आँख भी रोती है,
नहीं तन पर उनके धोती है,
नहीं तिलक कोई मरने पाए..
लाठी अब हाथ कोई दे दे !!

निर्धन का दुःख भी है बेचा,
भरे पेट भला किसने सोचा,
पिचके पेटों को कुछ तो मिले..
भर-भर अब हाथ कोई दे दे...!!

मासूमों को अब खेल नहीं,
अब उनसे खिलाया जाता है,
अब छीन के बरतन हाथों से...
पुस्तक अब हाथ कोई दे दे !!

सोचो अब उसकी उम्र नहीं,
पर अब भी वो क्यूँ लड़ता है,
ये देश हो फिर से उठ के खड़ा.
अब हाथ पे हाथ कोई दे दे !!

सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी -१७ दिसंबर २०११

4 comments:

  1. बहुत सुंदर मन के भाव ...

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  2. वाह त्रिपाठी जी, आप तो काफी अच्छा लिखते है ,पहली बात आप के ब्लॉग पर आना हुआ,रचना और ब्लॉग दोनों हो बेहतरीन है......

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  3. Dhanyavaad...Avanti ji... :)
    Ye aapka badappan hai.... jo aapne mujhe is layak samjha....

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