कोई भटका हुआ पल, फिर से लौट आया है,
फिर से मौसम तेरी यादों का, चला आया है !!
मेरे सिरहाने रखे ख्वाबों में, फिर है हलचल,
फिर जगाने को कोई ख्वाब, चला आया है !!
हमसफ़र दूर तलक बनके रहा, वो आदिल,
मिलने आसिम से वो क्यूँ कर के , चला आया है !!
आदिल - सच्चा, नेक
आसिम - दोषी, पापी
सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी - १६/१/२०१२
फिर से मौसम तेरी यादों का, चला आया है !!
मेरे सिरहाने रखे ख्वाबों में, फिर है हलचल,
फिर जगाने को कोई ख्वाब, चला आया है !!
हमसफ़र दूर तलक बनके रहा, वो आदिल,
मिलने आसिम से वो क्यूँ कर के , चला आया है !!
आदिल - सच्चा, नेक
आसिम - दोषी, पापी
सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी - १६/१/२०१२
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