है दूर नहीं अब सहर यार, वो देख चमकता ध्रुव तारा !
मत बंद पलक कर, ठहर जरा, वो देख जागता जग सारा !!
है तू जवान, जन-जन का मान, सीने को तान, बनके तूफ़ान !
कर तू बुलंद अपनी ये तान, सुनता है तुझको जग सारा !!
ये जोश नहीं थमने देना,
ये रोष नहीं रुकने देना,
कर अपनी मुट्ठी बंद सभी, हो इंकलाब ही एक नारा !!
है दूर नहीं अब सहर यार, वो देख चमकता ध्रुव तारा !!!!
.................. सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी - १९/०८/२०११
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