जाने क्यूँ आप………
जाने क्यूँ आप, हर एक बात, दिल पे लेते हो...
खामखाँ आप मेरी बात, पे रो देते हो !!
बात खुशियों की हो या, हो कोई ग़म की ही खबर,
आप हर वक्त यूँ ही, आँख को नम रखते हो !!
खामखाँ आप...........
उन सवालों की, कोई उम्र नहीं है फिर भी,
क्यूँ जवाबों को, ज़माने की नज़र करते हो !!
खामखाँ आप...........
तेरी रुखसत, मेरी साँसों में, कमी करती है,
बात ये जानते हो, फिर भी क्यूँ, चल देते हो !!
खामखाँ आप..........
जाने क्यूँ आप, हर एक बात, दिल पे लेते हो,
खामखाँ आप मेरी बात, पे रो देते हो !!..
सूर्यदीप अंकित त्रिपाठी - ०६/०२/२०१२
बेहतरीन ग़ज़ल....बहुत खूब.....
ReplyDeleteDhanyavaad... Sushma ji.... :)
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