Wednesday, August 3, 2011

शायद... कभी मिलें हो उससे.... BY SURYADEEP ANKIT TRIPATHI


शायद... कभी मिलें हो उससे....

कैसा दिखता है,
क्या किसी पत्थर सा,
या किसी पेड़ सा,
या शायद टंगा होगा किसी कागज़ सा,
क्या उसके घर पर,
पांच वक़्त की अज़ान थी,
या फिर घंटियों की आवाज़ से,
पहाड़ों की चोटियाँ गुंजायमान थी,
कैसा लगा उसका चेहरा,
क्या किसी अबोध सा था,
या फिर चेहरे से उसके,
मानवता का बोध सा था....
उसकी रसोई देखी ?,
क्या वहां छप्पन भोग थे,
ये फिर थी सिर्फ दाल-रोटी,
क्या वो गरीब था, असहाय था,
या फिर चेहरे से उसके टपकती,
अमीरी का दर्प सुखाय था,
क्या वो सचमुच भगवान् था....
या रखा तुमने कोई आइना सरे बाज़ार था....
किंचित......


सुर्यदीप 

2 comments: