Friday, September 9, 2011

आज फिर इक गुनाह कर बैठे .. (Aaj Fir ek Gunah Kar Baithe ) Suryadeep Ankit Tripathi


आज फिर इक गुनाह कर बैठे !
अपने ही दिल से, सवाल कर बैठे !! 
दिल ने समझाया था, उल्फत न कर
दिल लगाकर कमाल कर बैठे !!
अपने ही दिल से …….
इक तो वैसे ही ज़माने में, रंजिशें कम न थी 
दोस्ती दुश्मनों से की,  बबाल कर बैठे !! 
अपने ही दिल से …….
उनका मिलना तो एक ख्वाब ही था,  
जाने हम क्या-क्या, ख्याल कर बैठे !!
अपने ही दिल से …….
सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी - ०९/०९/२०११ 


2 comments: