करें अभिनन्दन, करें अभिनन्दन
नव वर्ष का, हम करें अभिनन्दन
पुष्प खिले हर घर उपवन,
हो सुन्दर, उज्जवल, सुखद ये मन,
रहे प्रेम बसा प्रकृति कण- कण
नहीं द्वेष, बैर का हो कारण,
नव चित्र उकेरें जीवन का,
जो हर्षित हो, उत्त्साहित हो,
कर्त्तव्य को प्रथम दे, मान सदा,
मन अभिमान, ना किंचित हो,
हो दया, कृपा उन दीनन पर,
जो तम को गुजारें सड़कों पर,
दे कृपा- उतरन, कुछ भेंट उन्हें,
जो जीवित कुछ राहगीरों पर,
कुछ नाथ बनें, अनाथों के,
कुछ हाथ बने, बेहाथों के,
कुछ भी नहीं, यदि बस मानव,
दे भेंट उन्हें मुस्कानों के,
आदर्श बनायें हम उनकों,
जो देश के सच्चे पूत रहे,
नहीं करें वंदन, उन सर्पों का
जिनकों गद्दी, का छूत रहे,
करें कर्म सदा, उन्नत, उज्जवल,
बनें निर्बल जन का, एक संबल,
हो विधि का सन्मान सदा,
हो शुन्य, विधि, सम सो जंगल
हो शीश झुका, उन चरणों में,
जिसने भी दी, पहचान हमें,
करें आदर उन गुरुजन का हम,
जिनसे मिला ये, ज्ञान हमें
संकल्प करें, करें ये वंदन,
हो हर्षित हर मुख, और ये मन
करें अभिनन्दन, करें अभिनन्दन
नव वर्ष का, हम करें अभिनन्दन..
सुर्यदीप "अंकित" - २८/१२/२०१०
आदर्श बनायें हम उनकों,
ReplyDeleteजो देश के सच्चे पूत रहे,
नहीं करें वंदन, उन सर्पों का
जिनकों गद्दी, का छूत रहे....
सुंदर रचना
ReplyDeleteनव वर्ष आपके लिएओ मंगलमय हो...
धन्यवाद वीना जी.
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