Sunday, December 5, 2010

आयो सावन !!

आयो सावन !!
आयो सावन सखी नाचे मयूरी -२
गरज-गरज कर बदरा बरसे,
दो नैना तोरे दरस को तरसे
याद दिलावे बहुरी..... आयो सावन ...

डाल पे बैठा पपीहा बोले,
पियूं-पियूं की बोली बोले,
आई बरहा कि बारी ...... आयो सावन...

सूनी सेज है, सूनी कलियाँ,
सूनी सी हैं, दरस बिन अँखियाँ 
अब तो रात कटे न कटे री... 
आयो सावन सखी नाचे मयूरी...
सुर्यदीप "अंकित" १७/०५/१९९२ 

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