Thursday, January 6, 2011

रुसवाई !!!! (Ruswaai)


मेरी तस्वीर में, तेरा अख्श, नज़र, आता नहीं, 
क्या कमी है मेरी, चाहत में, समझ, पाता नहीं !!

मेरी तकदीर में, शामिल है तू, मेहरबां की तरह, 
मेहरबां क्यूँ बनी, मेहमां, समझ, आता नहीं !!

खिलके आती हैं, बहारें, बाद, मौसम-ए-खिजां,
लौट के क्यूँ, नहीं आई तू, समझ, पाता नहीं !!

माना नादान, जमाना, मुझे, कहता आया, 
तू भी कर सकती है, ये भूल, शहर, मानता नहीं !!

किसी पत्थर पे बना, अख्श, मिटा दे, कोई संगदिल,   
अपने दिल पर, लिखा एक नाम, मिटा, सकता नहीं !!
सुर्यदीप "अंकित" - ०७/०१/२०११

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