मन है प्रफुल्लित, है उत्साहित, देख अम्बर की छटा,
तितलियों सम, रंग-बिरंगी, उड़ती कई, पतंगों से पटा !!
कुछ पतंगें आसमां की, हद को छूना चाहती,
कुछ पतंगें लड़खड़ा कर, घर को वापस लौटती !!
कुछ पतंगें, लगती सहमी, होगा क्या, अब उनका हाल,
डोर से जब साथ छूटा, सामने बच्चों का जाल !!
कुछ पतंगें, लड़-झगड़ कर, चोट खाकर लौटती,
करके मरहम पट्टी, फिर से, आसमां को चूमती !!
कुछ पतंगें, छत के ऊपर, "शीला" सी शोभित रहे, (सजी-सजाई पतंगें)
कुछ पतंगें, "मुन्नियों" सी, गुमनाम गलियों में रहे !! (गलियों में तार-तार हुई पतंगें)
कुछ पतंगें, काट करके, पास "पप्पू" हो गया,
कुछ पतंगें, लूट करके, "कलमाड़ी" "राजा" बन गया!!
कुछ पतंगें, रेल की पटरी पे जाकर "कट" गई,
कुछ पतंगे, छत की ऊँचाइयों से, गिर कर "फट" गई !!
है यही मन-कामना, कि, शुभ-सुमंगल रहे ये पर्व,
सूर्य कि भाँती चमकना, हो सभी को तुमपे गर्व !!
"सुर्यदीप "अंकित" - १३/०१/२०११
मकर संक्रांति - ये वो पर्व है.जो राजस्थान में बहुत ही हर्षो-उल्लाहष के साथ मनाया जाता है...१४ जनवरी को, इस दिन मानो पतंगें आसमान में एक दुसरे से होड़ लगाती हुई उडती है.पूरा आसमान इन रंग-बिरंगी पतंगों से पटा होता है.और साथ में होता है गरम गरम पौष बड़ों (पकोडियों) का स्वाद और चाय बहुत आनंददायक वाह जी वाह..और एक पर्व जो हम मानते हैं अपने उत्तरांचल में...आज के दिन...घुघुतिया...इस त्यौहार को मनाने का बेहद रोचक ढंग होता है, बीती शाम से ही मीठे आटे से बनी पूरियां और..घुघ्तियाँ बना दी जाती हैं...और...आज सुबह से ही...उसे काले कव्वे को...मनुहार करके बुलाकर खिलाई जाती है...और...मंगल कामनाएं की जाती हैं.
ReplyDeleteकाले कौवा काले|
ReplyDeleteघुघुति त्यार की आप को भी शुभकामनाएँ|
जोशीजी,
ReplyDeleteआपको भी..नव-वर्ष, मकर संक्रांति और घुघुतिया पर्व की शुभकामनायें !!!