Saturday, April 2, 2011

बेवफाई !!!

















बेवफाई !!!
छेड़ कर राग कोई दर्द का, गाया जाए, 
भरते जख्मों को चलो फिर से, कुरेदा जाए !!
है सुकूं मुझको तेरी बेदिली, बगावत से,
क्यों न फिर याद तेरी दिल से, लगाई जाए !!
जाम कितने ही तेरी मस्त, निगाहों से पिए, 
क्यों न पैमाना कोई अश्क का, फिर भरा जाए !! 
तेरी उल्फत मेरे जीने का, सबब थी पहले,
तेरी नफरत से न क्यों उम्र, ये गुजारी जाए !!
मेरे क़दमों को तेरे, घर का पता, याद है अब तक,
क्यों न पैरों को नई राह, अब दिखाई जाए !!
सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी - ०२/०४/२०११ 

2 comments:

  1. छेड़ कर राग कोई दर्द का, गाया जाए,
    भरते जख्मों को चलो फिर से कुरेदा जाए !!
    सुन्दर भाव हैं अंकित जी !
    आभार!

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