Tuesday, April 26, 2011

इंतज़ार.....बस.... इंतज़ार.... (INTAZAAR.....BAS ..INTAZAAR..
















इंतज़ार.....बस.... इंतज़ार....
वही रास्ता है जहन में अब,  
जिस राह से तुम चल दिए...
यहीं दिन मेरे ठहर गए
दीये रात के यहीं जल गए... !!
हूँ मैं तेरे हाल से बेखबर,
मेरे दर्द की तुझे क्या खबर
कहीं अपने आपसे गुफ्तगू
कहीं आंसू अपने ही पी लिए !!
गई रात कितनी हसीन थी
तेरे बाजुओं में कसी थी मैं,  
खुली आँख, ख्वाब बिखर गया,
अरमां जिगर के यूँ जल गए !!
एक तिश्नगी तेरे दीद की
रही उम्र भर, ज़हीर बन
मेरी धडकनों ने दगा दिया
वो थम गई, हम चल दिये !!
वही रास्ता है जहन में अब,  
जिस राह से तुम चल दिए...
सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी .... २६/०४/२०११ 

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