वो झपकियाँ, वो थपकियाँ,
वो आधी-अधूरी नींद का, एक ख्वाब सुनहरा..
वो लोरियां, वो कहानियाँ,
वो गोद में रख के सर, ढक लेना आँचल से,
वो पा की झिडकियां, वो कैद सी खिड़कियाँ,
वो डांट से सहम के, चिपक के रोना फिर तुझसे,
वो प्यार तेरा, दुलार तेरा,
वो अपना न खाकर, मुझको खिलाना प्यार से,
अहसास ये, न जाने किस पल खो गया,
बचपन छोड़ कर, क्यों जवान मैं हो गया....
क्यों जवान मैं हो गया....
सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी - १८/०४/२०११
वो आधी-अधूरी नींद का, एक ख्वाब सुनहरा..
वो लोरियां, वो कहानियाँ,
वो गोद में रख के सर, ढक लेना आँचल से,
वो पा की झिडकियां, वो कैद सी खिड़कियाँ,
वो डांट से सहम के, चिपक के रोना फिर तुझसे,
वो प्यार तेरा, दुलार तेरा,
वो अपना न खाकर, मुझको खिलाना प्यार से,
अहसास ये, न जाने किस पल खो गया,
बचपन छोड़ कर, क्यों जवान मैं हो गया....
क्यों जवान मैं हो गया....
सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी - १८/०४/२०११
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