याद
आज फिर बदली ग़मों की छाई है ; क्या करें याद तेरी, लौट के फिर आई है !!
आज फिर बदली ग़मों की छाई है!!!
तू न आई कभी लौट के, दर पर मेरे;
तू न आई कभी लौट के, दर पर मेरे!!
जाने किस बात का शिकवा, क्या रुसवाई है!!
क्या करें याद तेरी, लौट के फिर आई है !!
रोज सजती थीं, तमन्नाओं की महफ़िल मेरे दिल मैं,
रोज सजती थीं, तमन्नाओं की महफ़िल मेरे दिल मैं,
तू जो बिछड़ी मेरे घर से, हुई तन्हाई हैं !!
क्या करें याद तेरी, लौट के फिर आई है !!
जख्म क्या-क्या नहीं खाए हैं, दिल ने तेरी ख़ातिर,
जख्म क्या-क्या नहीं खाए हैं, दिल ने तेरी ख़ातिर,
हर एक सांस मैं एक आह, और आँख मैं नरमाई है !!
क्या करें याद तेरी, लौट के फिर आई है !!
आज फिर बदली ग़मों की छाई है ; क्या करें याद तेरी, लौट के फिर आई है !!
सुर्यदीप "अंकित" - १८/०८/२०१०
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