Tuesday, October 19, 2010

भगत सिंह

भगत सिंह हाँ , भगत सिंह हाँ, भगत सिंह था वो, 
जन्म लिया था इस धरती पर, अमर ही होने को,, 
वर्ष बारह का था वो बालक, जब जलियावाला कांड हुआ , 
मन पर उसके इस हरकत का, असर बहुत ही तेज हुआ ,,
छोड़ा उसने बचपन उस क्षण, इन्कलाब की ओर हुआ, 
आजादी था, सपना उसका, रस्ता उसने वही चुना,,
दल में जाकर मिल गया जिसमें, आजाद, गुरु, सुखदेव भी थे ,
अंग्रेजों को मार भगाना, मनसूबे उनके भी थे,, 
लाला जी की असमय मौत ने, खून उनका खौलाया था, 
सबने मिलकर हिंसा को मजबूरी में अपनाया था,
अत्याचारी सैंडर्स को, मौत के घाट उतारना था
लाला जी की मौत का बदला, उन तीनों को लेना था ,,
अत्याचारी के घर जाकर, गोली सीने पर दाग दिया,
रही कसर को राजगुरु ने, सर पे गोली मार किया ,,
हिदुस्तानी नहीं हैं कायर, गोरों को ये बताना था ,
बारूदों से खेलते आये, इनको ये जाताना था,,
आखिर वो भी एक दिन आया, भगत सिंह मन भर आया ,,
बटुकेश्वर को साथ ले उसने, हमले का विचार बनाया ,,
जिंदाबाद ए इन्कलाब, का नारा उसने बुलंद किया ,
अस्सेम्बली मैं बम को फ़ेंक कर, जय जय जय  जय हिंद किया,
वतन पे मर मिटने का, खुद से ही इकरार किया,
लेकर  उनको गए जेल मैं, फांसी को तैयार किया, 
भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु ने, फन्दा पहले चूम लिया, 
हँसते हँसते अपनी जान को, देश पे बलिदान किया ,
इन्कलाब हैं जिंदाबाद, ये देश को एक पैगाम दिया,
इन्कलाब हैं जिंदाबाद, ये देश को एक पैगाम दिया, 
इन्कलाब हैं जिंदाबाद, ये देश को एक पैगाम दिया, 
तीनों के अंतिम शब्द - 
"दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उल्फ़त
मेरी मिट्टी से भी खुस्बू ए वतन आएगी "
इन्कलाब जिंदाबाद "
सुर्यदीप "अंकित" - २८/०९/२०१०


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