जय श्री राधेजय, जय श्री कृष्णा , सांवली सूरत मन अति मोहना
मुरली अधर पर सदा बिराजे, गोपियों के संग रास वो राचे !
सुन्दर मुकुट भाल पे सोहे, वैजन्ती माल कंठन पर साजे !!!
मस्तक तिलक, केश मोर पंख, स्वर्ण कुंडल, मधुर अति बाना !!
संग ग्वाल वन धेनु चरावत, भांति भांति के खेल रचावत !
ग्वालिन-गोपी को माखन चोर के, आप खावे और ग्वाल चखावत !!
धन्य है मात यशोदा, जो जन्म लियो कान्हा तोरे अंगना !!
jai shari radhe
ReplyDeleteJai Shri Radhe.....Dhanyavaad.... Chaudhary..ji...
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