Sunday, November 28, 2010

यादें !!

यादें !!
खामोश हैं ये वादियाँ, खामोश हैं ये फिजायें 
आजा की अब तो मेरे सनम
तेरी याद बहुत ही सताए !! 
सावन के महीने में,
दुःख के बादल हैं छाए
पतझड़ तो है बीत चुका,
पर नन्हे पत्ते ना आये !!
रात की तन्हाई में,
तेरी ही यादों के हैं साए
करलूं गर में बंद पलकें
तो तेरे ही ख्वाब दिखाए !!
थक गई आँखें, तकते तकते,
यूँ ही राहें तेरी,
आजा की अब तो मेरे सनम,
तेरी राहों में फूल बिछाए
खामोश हैं ये वादियाँ, खामोश हैं ये फिजायें 
आजा की अब तो मेरे सनम
तेरी याद बहुत ही सताए !! 
सुर्यदीप "अंकित" ०९/०४/१९९३ 

1 comment:

  1. एक अच्छी रचना.
    धन्यवाद।

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