Sunday, November 28, 2010

सौदाई !!

सौदाई !!
ले लो मुझसे मेरी खुशियाँ ,
लौटा दो मुझको मेरे गम
जैसे पहले थे हम तनहा 
वैसे तनहा आज हैं हम.....
गैर तुम्हें खुशियाँ देंगे
सेज बिछेगी फूलों की
हम से क्या मिल सकता है,
हम से लो लाखों ही सितम ......
अपनों से दगा तुम कर बैठी,
अपनों पे किया था तुमने सितम,
और एक थे हम ये सौदाई 
जो तुमपे फिदा की जां औ तन
ले लो मुझसे मेरी खुशियाँ ,
लौटा दो मुझको मेरे गम
सुर्यदीप "अंकित" - २९/०३/१९९३ 

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