मूक दीवाली !!
हर साल आती है दीवाली,
इस साल भी आ गई,
पर बिन तेल, बिन बाटी के,
कुछ सूनी सी हो गई...
दीये तो सजाकर रखे थे,
उन मूक प्रस्तर भित्तियों पर,
पर उन दीयों की रौशनी,
मन तम में कहीं खो गई,
खाया कुछ मीठा भी,
तो मन की कडवाहट में,
जिव्हा कुछ कड़वी सी हो गई,
इन सब का नहीं दोष इनमें "अंकित"
बस याद बस याद जो उनकी आ गई,
हर साल आती है दीवाली.....
सुर्यदीप "अंकित" - २५/१०/१९९२
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