तुम याद आए !!
जब रिमझिम-रिमझिम बरखा रानी,
प्रेम सुधा बरसाए, तुम याद आए!!
जब जाड़ों की इन रातों में,
एहसास तेरा नरमाए, तुम याद आए !!
जब सांझ-सवेरे सूरज की,
किरणें मन को हर्षाए, तुम याद आए!!
जब रंग बिरंगे फूल खिले,
और उपवन हैं मुस्काये, तुम याद आए !!
जब कोयल कोई कुहू-कुहू करके,
गीत मधुर सा सुनाये, तुम याद आए!!
जब अंधियारों के आलम में,
कोई दीप अखंड जलाये, तुम याद आए !!
जब श्वेत वस्त्र पर कई रंगों का,
आँचल तेरा लहराए, तुम याद आए !!
जब धूप भरी दोपहरी में,
काले बादल छा जाये, तुम याद आए!!
जब मन की कामना बरसों की,
जिस पल पूरी हो जाये, तुम याद आए !!
जब लहरों का संगीत मधुर,
मन एकाकी बहलाए, तुम याद आए!!
जब एक भटकते राही को,
मंजिल पल में मिल जाये, तुम याद आए!!
जब शब्द मेरे इन गीतों को,
कोई आकर दे जाये, तुम याद आए!!
जब ख़त कोई पढ़ बार-बार,
सिरहाने रख सो जाये, तुम याद आए!!
जब चोरी-चोरी नैनों की,
भाषा में बात बताए तुम याद आए!!
सुर्यदीप "अंकित" - ०१/११/२०१०
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