Sunday, November 28, 2010

हम-तुम !!

हम-तुम !!
अब रात की बात को जाने दो,
हम रात को अक्सर जगते हैं,
तुम चैन की नींदें सोती हो,
हम एकटक तारे देखते हैं...
तुम ख्वाब सुनहरे देखती हो,
हम आंसू अपने पीते हैं
तुम ख्वाब में अक्सर हंसती हो
हम चुपके अक्सर रोते हैं....
तुम महफ़िल महफ़िल जाती हो
हम तनहा-तनहा रहते हैं,
गैरों की नहीं हम बात सनम
बस तेरी-मेरी करते हैं....
तुम हंसती गाती रहती हो,
हम अश्क बहाए जाते हैं,
फिर भी ए सनम, इक दिल के लिए,
हम तुमसे मुहोब्बत करते हैं...
अब रात की बात को जाने दो,
हम रात को अक्सर जगते हैं,
सुर्यदीप "अंकित" - ०१/०७/१९९३ 

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